Thursday, April 23, 2009

मथुरा म्यूज़ियम : एक ऐतिहासिक शिल्प-धरोहर :



आज जब डॉ विजय कुमार, पुरातत्ववेत्ता और बेहतरीन विद्वान के निधन की ख़बर पढी तो याद आया, विजय वर्मा साहब के मन्दिर-वास्तुकला पर एक भाषण में, जो बहुत दिन पहले म्यूज़ियम विभाग ने आयोजित किया था, विजय कुमार जी से मथुरा के मूर्तिशिल्पों पर लम्बी बात हुई थी ।
विजय कुमार जी ने देश के प्रख्यात शोधकर्ताओं और खुदाई-विशेषज्ञों के साथ लंबे अरसे तक काम किया था . वह ख़ुद एक जाने माने खुदाई विशेषज्ञ  थे। नगरी- चित्तौड़ , आयड, उदैपुर और कालीबंगा अदि की खुदाइयों में विजय कुमार का भी योगदान था , पर सबसे ज्यादा प्रसिद्धि उन्हें बैराठ के क्षेत्र में की गयी खुदाई की वजह से मिली जहाँ विजय कुमार जी ने महाभारत काल के विराटनगर में खुदाई के दौरान ताम्बे के सेंकडों तीरों की खोज की और महाभारत युद्ध की ऐतिहासिकता पर अनुसन्धान को फिर नई दिशा सोंपी।

मथुरा का संग्रहालय अद्वितीय है।
आदिकाल से मथुरा नगर की गिनती भारत के सबसे बड़े और विशाल नगरों में होती आयी है । अब यह उतनी विशाल नगर नही जितना एक दौर में हुआ करता था। यह सप्तमहापुरियों में गिना जाता रहा। बौध्ध, जैन, वैष्णव और शैव सम्प्रदायों ने मथुरा में अदितीय पूजा स्थलों का निर्माण करवाया था , मथुरा में नन्द, मौर्य, शुंग, क्षत्रप, और कुषाण वंशों का शासन रहा था, आज भी मथुरा कृष्ण की लीलास्थली के बतौर लाखों लोगों की आस्था और धार्मिक विश्वास का केन्द्र है । मथुरा की सबसे महान बात : यहाँ हुआ मूर्तिकला का असाधारण विकास है। विविध धर्मों से ताल्लुक रखने वाले लाखों मूर्तिशिल्प यहाँ बनाये गए और यही कारण है मथुरा में किसी वक्त बनाई गयी बेहतरीन मूर्तियों दूर दूर तक ले जाया गया. ...सारनाथ, तक्षशिला, श्रावस्ती, भरतपुर, बोधगया, साँची, कुशीनगर और कोसंबी तक मथुरा की कला के नमूने देखे जा सकते हैं ।
संग्रहालय मथुरा अलग और खासा दिलचस्प लगा ; खास तौर पर मूर्तिशिल्पों की वजह से। भारतीय इतिहास की सबसे प्रसिद्ध   मूर्तियाँ यहाँ संगृहीत हैं।


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